परिक्षेत्र के जनपदों में स्थित धार्मिक स्थलों में धार्मिक आस्था का आयोजन होता है तथा अधिक से अधिक संख्या में श्रद्धालुओं / आस्थावान व्यक्तियों का धार्मिक स्थलों पर आवागमन बना रहता है जिस कारण धार्मिक स्थलों पर भारी संख्या में भीड़ एकत्रित हो जाती है। ऐसे आयोजनों के अवसर पर पूर्व में कतिपय स्थानों पर भगदड़ जैसी घटनायें घटित होनी भी प्रकाश में आयी हैं। जनपदों में स्थित धार्मिक स्थलों पर किसी भी सम्भावित भगदड़ अथवा घटना के दृष्टिगत निम्न निर्देश दिए गए।
1. धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण, किसी आकस्मिक घटना की रोकथाम के सम्बन्ध में अपने-अपने जनपदों में ठोस कार्ययोजना तैयार कराकर तदनुसार धार्मिक स्थलों की सुरक्षा हेतु व्यवस्थायें सुनिश्चित करायी जाये।
2. जनपदों में स्थित प्रत्येक धार्मिक स्थलों का स्थानीय पुलिस एवं अभिसूचना इकाई के माध्यम से चिन्हींकरण कराया जाये तथा यह भी सुनिश्चित करा लिया जाये कि किन-किन धार्मिक स्थलों पर किन पर्व, त्यौहार अथवा सामान्य अवसरों पर कितनी-कितनी भीड़ एकत्रित होती है, और तदनुसार पर प्रत्येक धार्मिक स्थल की सुरक्षा व्यवस्था हेतु ठोस कार्ययोजना (एस०ओ०पी०) तैयार करायी जाये।
3. तैयार की गयी कार्ययोजना के अनुरूप धार्मिक स्थल हेतु भीड़ का आंकलन कर स्थानीय जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित कर प्रत्येक 15 दिवस में क्षेत्राधिकारी के माध्यम से सुरक्षा ऑडिट कराया जाये। इस सुरक्षा ऑडिट में सुरक्षा व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण एवं किसी अन्य घटना के दृष्टिगत सभी पहलुओं पर गहनता से समीक्षा करते हुये तदनुसार सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करायी जाये।
4. स्थानीय प्रशासन से समन्वय स्थापित कर धार्मिक स्थलों पर पर्याप्त विद्युत व्यवस्था करायी जाये तथा विद्युत लाइन एवं उपकरणों के सुरक्षित संचालन हेतु सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों को भी उत्तरदायी बनाया जाये। इसके अतिरिक्त अग्नि सुरक्षा हेतु फायर उपकरण भी अवश्य स्थापित कराये जायें जिनके संचालन हेतु फायर कर्मियों की आवश्यकतानुसार तैनाती करायी जाये।
5. धार्मिक स्थलों की सुरक्षा हेतु नियुक्त सुरक्षा कार्मिकों के नेतृत्व हेतु उपनिरीक्षक के अधिकारी का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाये तथा सुरक्षा में नियुक्त सुरक्षा कार्मिकों की नफरी पूरी हो।
6. धार्मिक स्थलों की सुरक्षा हेतु की गयी व्यवस्थाओं की सतर्कता के परीक्षण हेतु समय-समय पर जिम्मेदार अधिकारियों के नेतृत्व में मॉक ड्रिल आयोजित की जाये तथा मॉक ड्रिल के दौरान पायी जाने वाली त्रुटियों के निराकरण हेतु समय से कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाये।
7. स्थानीय जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित कर मंदिर समिति के पदाधिकारियों के साथ गोष्ठी आयोजित की जाये तथा गोष्ठी में सम्बन्धित धार्मिक स्थल की सुरक्षा हेतु किये गये सुरक्षात्मक उपायों के अतिरिक्त की जाने वाली व्यवस्था हेतु आवश्यक सुझाव प्राप्त कर उनके आधार पर यथोचित कार्यवाहीयथाशीघ्र सुनिश्चित करायी जाये।
8. धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था के सम्बन्ध में स्थानीय अभिसूचना इकाई के माध्यम से भी सूचनाओं का संकलन करायें तथा प्राप्त महत्वपूर्ण सूचनाओं के आधार पर यथोचित कार्यवाही समय से करायी जाये।