राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) की ओर से स्कूलों में आपदा प्रबंधन तथा आपदा के समय स्कूलों में बच्चों तथा शिक्षकों की सुरक्षा को लेकर जिला शिक्षा अधिकारियों तथा खंड शिक्षा अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण विशेषज्ञ जेसिका टेरोन ने प्रशिक्षण कार्यशाला में स्कूलों का डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान बनाने को लेकर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एनडीएमए और यूएसडीएमए के सख्त निर्देश हैं कि सभी स्कूलों का डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक स्कूल का डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान होना अनिवार्य है।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक स्कूल में आपदा प्रबंधन समिति होनी चाहिए और सभी सदस्यों की भूमिकाएं भी स्पष्ट रूप से परिभाषित होनी चाहिए ताकि आपदा के समय किसी तरह के भ्रम की स्थिति न रहे। उन्होंने कहा कि स्कूल में सुरक्षित निकासी टीम, खोज एवं बचाव दल, अग्नि सुरक्षा दल, फर्स्ट एड सहायता दल, स्कूल बस सुरक्षा दल तथा जागरूकता एवं चेतावनी जारी करने संबंधी दलों का गठन होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक स्कूल में डिजास्टर मैनेजमेंट किट होनी चाहिए जिसमें स्ट्रेचर, सीढ़ी, मोटी रस्सी, टार्च, फर्स्ट एड बॉक्स, मिट्टी की बाल्टी, आग बुझाने के उपकरण तथा अस्थायी शेल्टर शामिल हैं। उन्होंने बताया कि आपदा के समय स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सबसे जरूरी है। इसलिए सभी स्कूलों को सेफ्टी ऑडिट भी अनिवार्य रूप से कराना चाहिए।
दूसरे सत्र में अग्निशमन विभाग के फायर ऑफिसर सुरेश चंद्र रवि ने स्कूलों में अग्नि सुरक्षा को लेकर जानकारी दी। उन्होंने अलग-अलग तरह के अग्निशमन उपकरणों के बारे में जानकारी दी और बताया कि किस उपकरण से कैसे आग को बुझाया जाता है। उन्होंने कहा कि अग्नि से संबंधित हादसे न हों इसके लिए जरूरी है कि स्कूल अपने स्तर पर विद्युत व्यवस्था की पुख्ता निगरानी करें।