बैठक में फ्लैगशिप योजना, वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1978 एवं पातन सम्बन्धी प्रतिशिद्ध प्रजातियों में संशोधन/प्रस्तावित ड्राफ्ट, कीड़ा-जड़ी, किल्मोड़ा व अन्य जड़ी-बूटियों के विदोहन व रायल्टी, जड़ी-बूटी विकास, हर्बल व एरोमा टूरिज्म प्रोजेक्ट के वर्ष 2023-24 में क्रियान्वयन की स्थिति,नर्सरी कार्यों में सुधार के सम्बन्ध में समिति की रिपोर्ट के अनुपालन में समीक्षा के साथ ही वन पंचायत नियमावली एवं जायका प्रोजेक्ट (द्वितीय फेज) की तैयारियों के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा की गई।
माननीय मंत्री ने निर्देश दिए कि वन पंचायतों को जनमानस की आजीविका से जोड़ने हेतु प्रभावी कदम उठाये जाएं जिसके लिए जड़ी-बूटी उत्पादन, खेती, नर्सरी को स्थानीय भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार ही योजनाएं बनाएं। उन्होंने कहा कि नर्सरी प्रोजेक्ट को आनलाईन करने तथा पौधशालाओं के लिए प्रोफेशनल लोग रखें जाएं तथा पौधशालाओं की नियमित मॉनिटिरिंग की जाए । उन्होंने निर्देश दिए कि इस तरह की नीति/योजनाएं बनाई जाए, जिससे आम आदमी की आजीविका को जगंल से जोड़ते हुए जंगलों को भी सुरक्षित रखा जा सके तथा लोगों में जंगल को संरक्षित करने की भावना उत्पन्न हो। उन्होंने कहा कि स्थानीय जलवायु के अनुसार औषधीय प्रजातियों का चयन किया जाए तथा इसके लिए स्थानीय उद्योग की मांग के अनुसार उत्पादन करने पर बल दिया जाए। उन्होंने बाजार मांग, परिवहन आदि सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देशित किया कि वनस्पतियों के उत्पादन में 1 हजार मीटर से नीचे, 1 हजार मीटर से 16 सौ मीटर तथा 16 मीटर से अधिक के क्षेत्रों में होने वाली खेती, वृक्षों, औषधियों को ध्यान में रखकर योजना बनाई जाए। साथ ही निर्देशित किया कि जो भी उत्पादन किया जाए वह बाजार मांग के अनुरूप हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए।
बैठक में प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक, अपर सचिव कहकसा नसीम सहित वन विभाग के आलाधिकारी उपस्थित रहे ।